
Pratiksha Sabha Bhawan Foundation
अधिनियम के अंतर्गत रजिस्टर्ड एक ऐसी संस्थाहै जो कन्याओं से संबंधित समस्याओं पर कार्य करती है। चूकि कन्याएँ हमारे समाज की अभिन्न अंग है और इनकी उपेक्षा करके हम एक सभ्य एंव विकसित समाज की कल्पना भी नहीं कर सकते। हम अपने आपको एक सभ्य मानव की संज्ञा देते है और एक सभ्य समाज की चाहत रखते हैं। लेकिन जब तक कन्याएँ पुरूषों की तरह निर्णय लेने मे, शिक्षा के क्षेत्र मे बराबर नहीं आ जाती है, तब तक एक विकसित समाज का सपना एक कल्पना मात्र ही रह जाएगा।
आज जितने भी देश जो विकासीत कहलाते हैं। वहाँ की कन्याएँ वहाँ की समाज की एक निर्णयकर्ता है लेकिन हमारे भारत मे और खास कर हमारे बिहार मे कन्याओं के साथ आज भी भेदभाव किया जाता है और इतना ही नही बल्कि जीवन के प्रत्येक कदम पर इनका शोषण होता है तथा इनके कदम-कदम पर समाज द्वारा काँटे ही काँटे डाल दिये जाते हैं हम चाहते हैं की अपनी कन्याओं को सुदृढ़ बनाये, लेकिन समाज की कई कुरीतियाँ हमें अपने मकसद से रोकती है और जिनका मुल्य हमारे बेटीयों को चुकाना पडता हैं।
उनके हर कदम पर एक बैरीयर लगा होता है। जिससे सामंजस्य करते करते वो थक जाती है। टूट जाती है और जिनका प्रत्यक्ष प्रभाव हमारे समाज पर पडता है । लेकीन हम अभीभवक ही हैं दुसरा कोई नहीं। इनका शोषण, इनका बंधन, सबसे पहले हमारे घर से शुरू होता है और इनके ससुराल तक चला जाता हैं।
जब तक हम नहीं चाहेंगे हम इनहें पुरूषों के बराबरी मे नहीं लायेंगें,हम इनहे शारीरिक रूप से सुदृढ नही बनाएंगे, हम इनहे मानसीक रूप से सुदृढ़ नही बनाएंगे, हम इनहे अपना बोझ समझेंगे, तब तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं हैं। तब तक हमारे बेटीयों की यहीं स्थिती रहेगी, जो आज है कई सरकारी एंव गैरसरकारी संस्थायें इन समस्याओं पर कार्य कर रही है लेकिन आज तक हम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाये हैं और इसका एक मुलभुत कारण है कि इस विषय पर सोचते हैं, कहते हैं, लेकिन करते नही हैं।
सभाओं में शिविरों मे हम बालीका सशक्तिकरण की खुब चर्चा करते हैं। खुब बखान करते है। खुब तालयाँ बजाते है, लेकिन अपने घर जाकर उन्हें भुल जाते हैं। अगर इस समस्या को हम समाप्त कर ले तो हम समझते है की हमारे देश हमारे राज्य, हमारे समाज एंव हमारे घरो की कई समस्याएँ स्वतः समाप्त हो जाएगी।
अगर हम इस समस्या को समाप्त कर ले तो बेटी के ससुराल जाते समय हमे किसी तरह की आशंका नही रह जाएगी। जैसे हमे अपने बेटे पर भरोसा होता है। उसी तरह बेटीयो पर भी भरोसा रहेगा, कि मुसीबत के समय हमारी बेटियाँ भी आने वाले जीवन के कठीनाइयों एंव मुसीबतों का डटकर सामना करेंगी। लेकिन उनहें बेटे कि तरह ही मजबूत करना होगा । तभी समास्याओं के समाधान हेतु Pratiksha Sabha Bhawan Foundation का गठन किया गया है।